एनपीआरसी चौरा बागेश्वर: 'सपनों की उड़ान' कार्यक्रम में बच्चों ने भरी 'मेधा की उड़ान'

सपनों की उड़ान  कार्यक्रम 2024-2025 का आयोजन एनपीआरसी चौरा में किया गया. जिसमे प्राथमिक एवम उच्च प्राथमिक स्कूलों ने प्रतिभाग किया. इस कार्यक्रम के तहत सुलेख हिंदी, अंग्रेजी, सपनों के चित्र, पारंपरिक परिधान, लोकनृत्य, कविता पाठ,कुर्सी दौड़ इत्यादि का आयोजन संपन्न हुआ. सपनों के चित्र, सुलेख हिंदी  प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जीवन कुमार ( राजकीय प्राथमिक विद्यालय तल्लाभैरू ) द्वारा प्राप्त किया गया. इसी विद्यालय की छात्रा दीक्षा ने सुलेख अंग्रेजी में प्रथम स्थान प्राप्त किया. कुर्सी दौड़ में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौरा के छात्र रोहित ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. सपनों के चित्र प्रतियोगित में उच्च प्राथमिक स्तर पर भैरू चौबट्टा के छात्र करण नाथ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसी विद्यालय की छात्रा पूजा  ने सुलेख हिंदी में प्रथम स्थान प्राप्त किया. इस कार्यक्रम में ममता नेगी, भास्करा नंद ,जयंती, कुलदीप सिंह , मुन्नी ओली, सोहित वर्मा , विनीता सोनी, सुनीता जोशी, अनिल कुमार, संगीता नेगी आदि शिक्षक शामिल हुए.

हरीश रावत ने ऐसा क्यों कहाँ 'मेरी 'राख' भी उत्तराखंड के काम आएगी'


विगत दिनों नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर चुनाव लड़ रहें उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को लेकर भाजपाइयों के बिगड़े बोल देखने को मिले..बीजेपी विधायक ने उन्हें मरे हुआ बताते हुए सिर्फ दाह संस्कार की जरूरत बताई.इस से  पूर्व भाजपा के बड़े नेता और उत्तराखंड के ही पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने हरीश रावत को 'एकलू वानर' की कहकर खूब चर्चा बटोरी.पलटवार करते हुए रावत ने भी भगत सिंह कोश्यारी को 'भागदा' और 'भीगा घुघूत' की संज्ञा दी.

हालांकि बाद में हरीश रावत ने भगत सिंह कोश्यारी को अपना बड़ा भाई बताया.लेकिन इन राजनीतिक हमलों के बीच किच्छा से भाजपा विधायक राजेश शुक्ला राजनीतिक शिष्टाचार को बनाये रखने में असफल साबित रहें.उन्होंने रावत के 'दाह संस्कार' करने की बात कह डालीं.इसे रावत समर्थकों ने 'उत्तराखंडीयत' से जोड़ भाजपा पर खूब हमलें किये.फेसबुक पर रावत ने इसका जवाब लिखा.

"....भाजपा कहती है हरीश रावत 2017 के चुनाव में मर गया है, और अब मेरा दाह संस्कार हो रहा है!! मैं उनसे कहना चाहता हूं कि मेरी राख भी उत्तराखंड के काम आएगी। मैंने उत्तराखंड की मजबूती के लिए काम किया है, चुनाव में जीत और हार होती है लेकिन हारकर के मैंने हौसला नहीं छोड़ा है और ना उत्तराखंड की सेवा का भाव छोड़ा है। मैं भाजपा का सिपाही नहीं हूं, कांग्रेस का सिपाही हूं जिसने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे बलिदानी भी दिए हैं। यदि उत्तराखंड की भलाई के लिए मेरा बलिदान भी होता है तो मुझे कहीं कोई रंज नहीं रहेगा, मैं खुशी खुशी जहां ऊपर वाला ले जाएगा चला जाऊंगा। लेकिन मैं आप सबसे कहना चाहता हूं कि मैंने बहुत सुविचारित तरीके से यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया। राष्ट्रीय राजनीति में मैं जिस स्थान पर हूं वहां से यहां आना अपने आप में बड़ा फैसला है। मैंने यूं ही ये खतरा नहीं उठाया है, आप पर भरोसा है और अपने आत्मबल पर भरोसा है। मैं और ऊंचाइयों की तरफ उत्तराखंड की राजनीति को और पहचान को ले जा सकूं इसीलिए चुनाव मैदान में हूं"।
"....अब भाजपा के नेता मुझे चुनाव में हराने की ही घोषणा नहीं कर रहे हैं बल्कि मेरा दाह संस्कार करने की भी घोषणा कर रहे हैं। उनका कहना है कि मर तो मैं पहले ही गया हूं अब मेरा दाह संस्कार भी हो जाना चाहिए! धन्य हो भारतीय जनता पार्टी, अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रति आपके भावों को सुनकर के अच्छा लगा या बुरा लगा क्या कहूं, मगर आप अपनी पार्टी की संस्कृति जाहिर कर रहे हैं"