Dr. Rashmi Singh : एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी

  ADHD एक मनोवैज्ञानिक समस्या है.अक्सर यह बच्चों में देखी जाती है लेकिन जागरूकता के अभाव में इसे अनदेखा कर दिया जाता है. क्या आपके बच्चे को किसी काम में ध्यान लगाने में कठिनाई महसूस होती है? क्या उसे एक ही जगह पर टिक के रहने में परेशानी होती है? क्या उसके व्यव्हार में असावधानी, हाइपरएक्टविटी और आवेग शामिल हैं। यदि उसे यह समस्याएं हैं और आपको लगता है कि यह उसके दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं, तो यह Attention deficit hyperactivity disorder (ADHD) का संकेत हो सकता है। लेकिन थोड़े समझ के साथ आप एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चों को व्याहारिक तौर पे बेहतर बना सकते हैं।एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी। एडीएचडी (ADHD) बच्चे में उर्जा का भंडार होता है। यही वजह है की वे अपनी उर्जा को किसी एक दिशा में केन्द्रित नहीं कर पाते हैं। मगर, सही मार्गदर्शन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चा अपने जीवन में बहुत अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।आप को ताजुब होगा यह जान कर के की बहुत से ख्याति प्राप्त और अत्याधिक सफल उधमी कभी बचपन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित थे। Attention defic

केदारनाथ को भीषण खतरा - 2



2013 की केदारनाथ आपदा ने यहां के जल में अग्निमय ऊर्जा का परिचय दे दिया था। स्कन्द पुराण का केदारखण्ड बताता है कि केदारनाथ में अनेक स्थानों पर पानी बुलबुलों के रूप में निकलता हैं। 

‘‘पारदं दृश्यते तत्र तज्जलं बुदबुदायते’’

अर्थात् पारे के समान उसके जल में बुलबुले उठते रहते हैं।

और ‘‘रक्तवर्ण जलं तत्र बुदबुदाकारनिनिःसृतमृ’’
अर्थात् रक्तवर्ण का जल वहां से बुलबुलों के आकार में निकलता है।
जलमयी भूमि में चरण रखने से भी भूमि कम्पायमान हो जाती है - ‘‘यस्माज्जलमयी भूमिः पदन्यास सुकम्पिता।’’ यहां तक कि दक्षिण दिशा में समुद्रजल की मौजूदगी भी बताई गई है, ‘‘सामुद्रं तज्जलं प्रोक्तं स्पर्शनाच्छिवदायकम्’’। 
केदारनाथ का भूजल वर्फीला ठण्डा होने के बावजूद अग्निमय अर्थात ऊर्जा से भरा हुआ है। शिव स्वयं कहते हैं - हिमान्र्तगलितम् तद्वै जलं वहिृमयं प्रिये’’। यह धाम सात दीवारियों अर्थात पहाड़ियों से घिरा है। ‘‘सप्तप्राकारसंयुक्तमं मम धाम महेश्वरि’’ मंदिर इस धाम के मध्य में है और इसी कारण जलमयी भूमि में विशाल होते हुये भी सन्तुलन में है।
2013 की भीषण आपदा में भी मंदिर के सुरक्षित रहने के पीछे पारिस्थितिकीय और वास्तु विज्ञान की यही समझ है। मंदिर से भारी ढांचा धाम के किसी और हिस्से में बनाया जाता है तो यह असन्तुलन पैदा करेगा। केदार धाम के कुण्ड भूमिगत जल को निरन्तर रिलीज करते रहते हैं। धाम में जैसा कि किया जा रहा है, पक्के व स्थाई निर्माण से भूजल के रिलीज होने की यह प्रक्रिया बाधित होने का खतरा है। 
पहाड़ के गांवों में उन स्थानों पर मकान बनाने से परहेज किया जाता है, जहां कि बरसात में छोये (जलश्रोत) फूटते हैं। यह समझ लेना चाहिये कि केदार मंदिर के चारों तरफ ऐसे स्थान लगातार मौजूद हैं।
जारी...
- महिपाल नेगी 

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