Dr. Rashmi Singh : एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी

  ADHD एक मनोवैज्ञानिक समस्या है.अक्सर यह बच्चों में देखी जाती है लेकिन जागरूकता के अभाव में इसे अनदेखा कर दिया जाता है. क्या आपके बच्चे को किसी काम में ध्यान लगाने में कठिनाई महसूस होती है? क्या उसे एक ही जगह पर टिक के रहने में परेशानी होती है? क्या उसके व्यव्हार में असावधानी, हाइपरएक्टविटी और आवेग शामिल हैं। यदि उसे यह समस्याएं हैं और आपको लगता है कि यह उसके दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं, तो यह Attention deficit hyperactivity disorder (ADHD) का संकेत हो सकता है। लेकिन थोड़े समझ के साथ आप एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चों को व्याहारिक तौर पे बेहतर बना सकते हैं।एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी। एडीएचडी (ADHD) बच्चे में उर्जा का भंडार होता है। यही वजह है की वे अपनी उर्जा को किसी एक दिशा में केन्द्रित नहीं कर पाते हैं। मगर, सही मार्गदर्शन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चा अपने जीवन में बहुत अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।आप को ताजुब होगा यह जान कर के की बहुत से ख्याति प्राप्त और अत्याधिक सफल उधमी कभी बचपन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित थे। Attention defic

शिक्षा व्यवस्था : तक़रीबन 22 सौ अध्यापकों की दस सालों से सुगम में मौज ,शेष तबादले को तरसे


जब कभी (छुट्टियों, सम्मेलनों व धरने-प्रदर्शनों में) सुगम में जाना होता है। तो सुगम में रहने वाले साथियों से मुलाकात होती है। जब कभी ट्रांसफर पर बात छिड़ती है, तो बहुत सारे मित्र कहते हैं कि हम भी चाहते हैं कि ट्रांसफर के लिये एक ठोस और पारदर्शी नियम-कानून हों। अगर हमें पता हो कि हमने 2-4 साल दुर्गम में सेवा करनी है, फिर सुगम में ट्रांसफर मिल जायेगा, तो हम भी खुशी-खुशी जाने को तैयार हैं। पर इतिहास गवाह है कि जो एक बार दुर्गम में गया फिर उसके वापसी के कोई सम्भावना नहीं हैं।

और यह सच भी है। राज्य बने दो दशक होने को हैं, सबने अपने-अपनों को एडजस्ट करने की नीति बनायी। ट्रांसफर कानून का खूब ढोल पीटा गया। पर जब कानून आया, तो ढोल फट गया। अब उसको जितना भी पीटो कोई आवाज नहीं आती। लोग ढूंढ रहे हैं कि कानून का, 'का' कहाँ गया, 'नू' कहाँ गया और 'न' कहाँ गया।

इस बार भी 10% ट्रांसफर की खबर सुगम के साथियों के लिये किसी खुश खबरी से कम नहीं। पिछले 18 सालों में सरकारें हों या संगठन सब सुगम वालों की ही सुनते रहे हैं। अगर किसी के पास समय हो तो एक नजर नीचे दिये आंकड़ों पर भी डाल दीजियेगा--

1- गत वर्ष तक विभाग द्वारा जारी अनिवार्य ट्रांसफर के लिये जारी पात्र शिक्षकों की सूचि के अनुसार प्रवक्ता संवर्ग में सुगम से दुर्गम ट्रांसफर हेतु लगभग 1607 शिक्षक पात्र हैं अर्थात इतने शिक्षकों को सुगम में 04 साल से अधिक हो गये हैं।

2- इनमें से लगभग 48 शिक्षक ऐसे हैं जिनको सुगम में 30 साल हो गये हैं।

3- लगभग 206 शिक्षक ऐसे हैं जिनको सुगम में कार्य करते हुये 25 साल हो गये हैं।

4- लगभग 408 शिक्षक ऐसे हैं, जिनको सुगम में 20 साल हो गये।

5- लगभग 708 शिक्षक ऐसे हैं जिनको सुगम में 15 साल से अधिक हो गये हैं।

6- 1237 शिक्षक ऐसे हैं जिनको सुगम में 10 साल से अधिक हो गये।

लगभग 77 % शिक्षक ऐसे हैं जिनको सुगम में 10 साल से अधिक हो गये हैं । ( बिंदु 06 देखें )।
अगर 10% के हिसाब से ट्रांसफर हुये ( वह भी अगर हुये तो ) इनके लगभग अगले 10 सालों तक ट्रांसफर नहीं होंगे। मतलब 20 साल तक। तब तक अधिकाँश की उम्र भी 55 साल से ऊपर हो चुकी होगी और फिर ट्रांसफर से छूट मिल जायेगी।
 

- सतीश जोशी, रनाकोट,टिहरी गढ़वाल

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