एनपीआरसी चौरा बागेश्वर: 'सपनों की उड़ान' कार्यक्रम में बच्चों ने भरी 'मेधा की उड़ान'

सपनों की उड़ान  कार्यक्रम 2024-2025 का आयोजन एनपीआरसी चौरा में किया गया. जिसमे प्राथमिक एवम उच्च प्राथमिक स्कूलों ने प्रतिभाग किया. इस कार्यक्रम के तहत सुलेख हिंदी, अंग्रेजी, सपनों के चित्र, पारंपरिक परिधान, लोकनृत्य, कविता पाठ,कुर्सी दौड़ इत्यादि का आयोजन संपन्न हुआ. सपनों के चित्र, सुलेख हिंदी  प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जीवन कुमार ( राजकीय प्राथमिक विद्यालय तल्लाभैरू ) द्वारा प्राप्त किया गया. इसी विद्यालय की छात्रा दीक्षा ने सुलेख अंग्रेजी में प्रथम स्थान प्राप्त किया. कुर्सी दौड़ में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौरा के छात्र रोहित ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. सपनों के चित्र प्रतियोगित में उच्च प्राथमिक स्तर पर भैरू चौबट्टा के छात्र करण नाथ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसी विद्यालय की छात्रा पूजा  ने सुलेख हिंदी में प्रथम स्थान प्राप्त किया. इस कार्यक्रम में ममता नेगी, भास्करा नंद ,जयंती, कुलदीप सिंह , मुन्नी ओली, सोहित वर्मा , विनीता सोनी, सुनीता जोशी, अनिल कुमार, संगीता नेगी आदि शिक्षक शामिल हुए.

नीलकंठ हॉस्पिटल हल्द्वानी : डॉ गौरव सिंघल ने 18 महीनें की अनन्या के फेफड़ों से निकाला "मोती का दाना"



"........नीलकंठ हॉस्पिटल हल्द्वानी के अनुभवी डॉ गौरव सिंघल ने 18 महीनें  की  अनन्या के "फेफड़ों में फसें मोती का दाना" निकाल कर नया जीवन दिया है.अनुभवी डॉ गौरव सिंघल ने "ब्रोंकोस्कोपी" से मोती के दाने को सफलतम तरीकें से निकाला.डॉक्टर गौरव सिंघल इस से पूर्व इमली का दाना ,मीट का पीस,आयुर्वेदिक टेबलेट जैसी चीजे कड़ी मशक्कत के बाद निकाल चुके है.कई लोगों को नयी जिंदगी मिली है."

ब्रोंकोस्कोपी एक चिकित्सकीय प्रक्रिया है, जो फेफड़ों के वायुमार्ग के अंदर देखती है और फेफड़ों की बीमारियों का पता लगाने के लिए प्रयोग की जाती है।
कैसे होती है ब्रोंकोस्कोपी
ब्रोंकोस्कोपी में नाक या मुंह के जरिए, एक ब्रोंकोस्कोप नली, जिसमें एक हल्का और अति सूक्ष्म कैमरा लगा होता है, डाली जाती है।
ब्रोंकोस्कोपी का प्रयोग फेफड़ों की समस्या का पता लगाने के लिए किया जाता है।
ब्रोंकोस्कोपी ट्यूमर्स, इंफेकशन, वायुमार्ग में श्लेश्मा का आधिक्य, या फेफड़ों में अवरोध का पता लगा सकती है।
कितने तरह से होती है ब्रोंकोस्कोपी
ब्रोंकोस्कोपी की प्रक्रिया दो तरह से होती है। एक लचीली ब्रोंकोस्कोप का प्रयोग करके और दूसरी कठोर ब्रोंकोस्कोप का प्रयोग करके।
सामान्यतः लचीली ब्रोंकोस्कोपी flexible bronchoscopy ही की जाती है और इसमें आमतौर पर एनेस्थीसिया नहीं दिया जाता है।
 इस से दो माह पूर्व ही मास्टर अरमान को नयी जिंदगी मिली थी..13 वर्षीय अरमान विगत दो माह से जिंदगी और मौत से लड़ रहें थे,अरमान के फेफड़ो में  इमली का बीज फंस गया था.कई जगह इलाज के बाद भी बीज को कोई निकाल नहीं सका.लेकिन नीलकंठ हॉस्पिटल के डॉक्टर गौरव सिंघल ने 'ब्रोनोस्कोपी' दूरबीन विधि द्वारा फेफड़े की जांच कर इमली की बीज को निकाला.काफी मशक्कत के बाद  13 वर्षीय अरमान को नयी जिंदगी मिली.अरमान अब पूरे तरीके से स्वस्थ्य है.