Dr. Rashmi Singh : एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी

  ADHD एक मनोवैज्ञानिक समस्या है.अक्सर यह बच्चों में देखी जाती है लेकिन जागरूकता के अभाव में इसे अनदेखा कर दिया जाता है. क्या आपके बच्चे को किसी काम में ध्यान लगाने में कठिनाई महसूस होती है? क्या उसे एक ही जगह पर टिक के रहने में परेशानी होती है? क्या उसके व्यव्हार में असावधानी, हाइपरएक्टविटी और आवेग शामिल हैं। यदि उसे यह समस्याएं हैं और आपको लगता है कि यह उसके दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं, तो यह Attention deficit hyperactivity disorder (ADHD) का संकेत हो सकता है। लेकिन थोड़े समझ के साथ आप एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चों को व्याहारिक तौर पे बेहतर बना सकते हैं।एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी। एडीएचडी (ADHD) बच्चे में उर्जा का भंडार होता है। यही वजह है की वे अपनी उर्जा को किसी एक दिशा में केन्द्रित नहीं कर पाते हैं। मगर, सही मार्गदर्शन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चा अपने जीवन में बहुत अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।आप को ताजुब होगा यह जान कर के की बहुत से ख्याति प्राप्त और अत्याधिक सफल उधमी कभी बचपन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित थे। Attention defic

उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं का रवीश कुमार को पत्र "हमारा भविष्य फुटबॉल बनकर रह गया है"

यह खुला पत्र "उत्तराखंड के  बेरोजगार और सरकार की मनमानियों से पीड़ित " युवा सेना का रवीश कुमार को लिखा गया है.
प्रणाम सर, 
हम उत्तराखंड के निवासी बेरोजगार युवा हैं. हम अपर निजी सचिव पद हेतु माननीय उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार के प्रतियोगी परीक्षार्थी हैं. यह परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जानी है.
महोदय, माननीय आयोग द्वारा 11 अप्रैल, 2018 को उक्त प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी कर मुख्य परीक्षा हेतु जुलाई, 2018 नियत की थी, परन्तु आतिथि तक 13 माह बीतने के  पश्चात हमारी इस मुख्य परीक्षा का दूर-दूर तक अता-पता नहीं है. कारण यह बताया जा रहा है कि वर्णित परीक्षा में माननीय आयोग के विज्ञापन में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से एक वर्षीय कंप्यूटर डिप्लोमा उत्तीर्ण को अर्हता रखा गया था. साथ ही कंप्यूटर दक्षता परीक्षा का भी पेपर निर्धारित है. परन्तु माननीय आयोग यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है कि कौन-सा संस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है. इसके लिये कई बार माननीय आयोग ने कार्मिक विभाग उत्तराखंड से परामर्श किया है. लेकिन इस परीक्षा की फ़ाइल फुटबॉल बनकर रह गयी है. इसी प्रकार हमारा भविष्य भी फुटबॉल बनकर रह गया है. 
हमने मंत्रियों के चक्कर भी काटे हैं लेकिन अभी तक कुछ हल नहीं निकला है. शायद निकले भी नहीं.

श्रीमान जी,
कृपया आप हमारी मझधार में फंसी नौका को पार लगाने के लिये हमारे तारणहार बन जाइये और सम्भव हो तो prime टाइम या आपके फेसबुक पेज पर ही इस समस्या को स्थान दे दें. जिससे हमारी मुख्य परीक्षा आयोजित हो और हम माई-बाप के सपनों को पंख दे सकें.
सादर,
हम हैं,
राशिद अली, प्रियंका गुरचन, शीशपाल रावत, प्रदीप रावत, गौरव चौहान, वैभव चौहान, प्रगति थपलियाल, जयकृष्ण नौटियाल, सोनूराम, सय्याद अली,
माही चौहान, पूनम डोभाल...... और हम जैसे लगभग 1500 परीक्षार्थी.