एनपीआरसी चौरा बागेश्वर: 'सपनों की उड़ान' कार्यक्रम में बच्चों ने भरी 'मेधा की उड़ान'

सपनों की उड़ान  कार्यक्रम 2024-2025 का आयोजन एनपीआरसी चौरा में किया गया. जिसमे प्राथमिक एवम उच्च प्राथमिक स्कूलों ने प्रतिभाग किया. इस कार्यक्रम के तहत सुलेख हिंदी, अंग्रेजी, सपनों के चित्र, पारंपरिक परिधान, लोकनृत्य, कविता पाठ,कुर्सी दौड़ इत्यादि का आयोजन संपन्न हुआ. सपनों के चित्र, सुलेख हिंदी  प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जीवन कुमार ( राजकीय प्राथमिक विद्यालय तल्लाभैरू ) द्वारा प्राप्त किया गया. इसी विद्यालय की छात्रा दीक्षा ने सुलेख अंग्रेजी में प्रथम स्थान प्राप्त किया. कुर्सी दौड़ में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौरा के छात्र रोहित ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. सपनों के चित्र प्रतियोगित में उच्च प्राथमिक स्तर पर भैरू चौबट्टा के छात्र करण नाथ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसी विद्यालय की छात्रा पूजा  ने सुलेख हिंदी में प्रथम स्थान प्राप्त किया. इस कार्यक्रम में ममता नेगी, भास्करा नंद ,जयंती, कुलदीप सिंह , मुन्नी ओली, सोहित वर्मा , विनीता सोनी, सुनीता जोशी, अनिल कुमार, संगीता नेगी आदि शिक्षक शामिल हुए.

उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं का रवीश कुमार को पत्र "हमारा भविष्य फुटबॉल बनकर रह गया है"

यह खुला पत्र "उत्तराखंड के  बेरोजगार और सरकार की मनमानियों से पीड़ित " युवा सेना का रवीश कुमार को लिखा गया है.
प्रणाम सर, 
हम उत्तराखंड के निवासी बेरोजगार युवा हैं. हम अपर निजी सचिव पद हेतु माननीय उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार के प्रतियोगी परीक्षार्थी हैं. यह परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जानी है.
महोदय, माननीय आयोग द्वारा 11 अप्रैल, 2018 को उक्त प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी कर मुख्य परीक्षा हेतु जुलाई, 2018 नियत की थी, परन्तु आतिथि तक 13 माह बीतने के  पश्चात हमारी इस मुख्य परीक्षा का दूर-दूर तक अता-पता नहीं है. कारण यह बताया जा रहा है कि वर्णित परीक्षा में माननीय आयोग के विज्ञापन में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से एक वर्षीय कंप्यूटर डिप्लोमा उत्तीर्ण को अर्हता रखा गया था. साथ ही कंप्यूटर दक्षता परीक्षा का भी पेपर निर्धारित है. परन्तु माननीय आयोग यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है कि कौन-सा संस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है. इसके लिये कई बार माननीय आयोग ने कार्मिक विभाग उत्तराखंड से परामर्श किया है. लेकिन इस परीक्षा की फ़ाइल फुटबॉल बनकर रह गयी है. इसी प्रकार हमारा भविष्य भी फुटबॉल बनकर रह गया है. 
हमने मंत्रियों के चक्कर भी काटे हैं लेकिन अभी तक कुछ हल नहीं निकला है. शायद निकले भी नहीं.

श्रीमान जी,
कृपया आप हमारी मझधार में फंसी नौका को पार लगाने के लिये हमारे तारणहार बन जाइये और सम्भव हो तो prime टाइम या आपके फेसबुक पेज पर ही इस समस्या को स्थान दे दें. जिससे हमारी मुख्य परीक्षा आयोजित हो और हम माई-बाप के सपनों को पंख दे सकें.
सादर,
हम हैं,
राशिद अली, प्रियंका गुरचन, शीशपाल रावत, प्रदीप रावत, गौरव चौहान, वैभव चौहान, प्रगति थपलियाल, जयकृष्ण नौटियाल, सोनूराम, सय्याद अली,
माही चौहान, पूनम डोभाल...... और हम जैसे लगभग 1500 परीक्षार्थी.