Dr. Rashmi Singh : एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी

  ADHD एक मनोवैज्ञानिक समस्या है.अक्सर यह बच्चों में देखी जाती है लेकिन जागरूकता के अभाव में इसे अनदेखा कर दिया जाता है. क्या आपके बच्चे को किसी काम में ध्यान लगाने में कठिनाई महसूस होती है? क्या उसे एक ही जगह पर टिक के रहने में परेशानी होती है? क्या उसके व्यव्हार में असावधानी, हाइपरएक्टविटी और आवेग शामिल हैं। यदि उसे यह समस्याएं हैं और आपको लगता है कि यह उसके दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं, तो यह Attention deficit hyperactivity disorder (ADHD) का संकेत हो सकता है। लेकिन थोड़े समझ के साथ आप एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चों को व्याहारिक तौर पे बेहतर बना सकते हैं।एडीएचडी (ADHD) शिशु के लिए समस्या भी है और वरदान भी। एडीएचडी (ADHD) बच्चे में उर्जा का भंडार होता है। यही वजह है की वे अपनी उर्जा को किसी एक दिशा में केन्द्रित नहीं कर पाते हैं। मगर, सही मार्गदर्शन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चा अपने जीवन में बहुत अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।आप को ताजुब होगा यह जान कर के की बहुत से ख्याति प्राप्त और अत्याधिक सफल उधमी कभी बचपन में एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित थे। Attention defic

उत्तराखंड : पिछले आठ सालों में राज्य में कैंसर के मामले दोगुने से ज़्यादा


   पिछले आठ सालों में राज्य में कैंसर के मामले दोगुने से ज़्यादा हो गए हैं   लेकिन कैंसर इंस्टीट्यूट बनाने में इतनी गंभीरता नहीं दिखाई दे रही. चिंता  की बात यह भी है कि उत्तराखंड में कैंसर के मामले पूरे देश में सबसे  ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
 इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर की एक  रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में कैंसर रोगियों की संख्या पूरे देश के मुकाबले ज्यादा तेजी के बढ़ रही है. इसके बावजूद कैंसर इंस्टीट्यूट बनाने में सरकारें गंभीर नहीं लग रही हैं
पूरे देश में जहां कैंसर रोगी सालाना 9.2 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं तो उत्तराखंड में यह आंकड़ा 10.15 फीसदी है. आईसीएमआर की रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड में सबसे ज्यादा रोगी ओरल और लंग कैंसर से जूझ रहे हैं.कुल कैंसर रोगियों में से 28.79 फीसदी मरीज ओरल और लंग कैंसर के हैं.डरावनी बात ये है कि साल 2014 में रोगियों की संख्या 11 हज़ार थी, जो
साल 2019 आते-आते 16 हजार को पार कर गई है. 2010 में जब इंस्टीट्यूट में कैंसर डिपार्टमेंट शुरू किया गया था तब कैंसर रोगियों की संख्या 2800 से 3000 प्रतिवर्ष तक होती थी. लेकिन अब हर साल इंस्टीट्यूट में 7000 से 8000 मरीज़ इलाज के लिए आ रहे हैं.
देश के पहाड़ी राज्यों में धूम्रपान से कैंसर लोगों को तेजी के साथ जकड़ता जा रहा है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल के साथ ही उत्तराखंड में कैंसर के मरीजों में तेज वृद्धि हो रही है। इन सभी राज्यों में मुंह और गले के कैंसर के मरीज सबसे ज्यादा चिह्नित हो रहे हैं।